ಗುರುವಾರ, ಜುಲೈ 26, 2012


“सरस्वति प्रभा तरपेन पॊरनॆ यक्षगान प्रसंग पुनर् मुद्रण योजन आरंभ
कॊंकणि भाषेक घॆलेलॆ २४ वर्षाचान पत्रिका, पुस्तक प्रकटण, विद्यार्थ्यांक विद्यार्थि वेतन, नॆट् ब्लाग् मूखांतर विश्वाद्यंताचॆ कॊंकणिगांक  कन्नड आनि देवनागरि लिपिंतु कॊंकणि खब्बर पावैता आश्शिलॆ हुब्बळ्ळि “सरस्वति प्रभा तरपेन “पॊरनॆ कन्नड यक्षगान प्रसंगांचॆ पुनर् मुद्रणाचॆ आन्नेक योजना आरंभ जाल्लया.  सुमार साठ वर्षा पशि च्हड काल यक्षगान क्षेत्राक अपरिमित सेवा पावॆयिलॆ, यक्षगान भीष्म दि॥ आर्‍गोडु रामचंद्र शॆणै हांगॆलॆ स्मरणॆ खात्तिरि हे योजन हात्ताक घॆत्तिलॆ आस्सुनु ताज्जॆ प्रथम फूल जाव्नु “भीष्मार्जुनर काळग आनि लवकुशर काळग म्हणचॆ दोनि प्रसंग सेर्‍सुनु प्रकट कॆलीलॆ “यक्षगान प्रसंग पुस्तक आल्तांतु उड्पिंतु यक्षगान कलारंग(रि) हान्नि आयोजित एक समारंभांतु पर्याय श्री सोदॆ वादिमठाधीश श्री श्री विश्ववल्लभतीर्थ श्रीपाद स्वाम्यानि उग्तावण कॆल्लि. हे संदर्भारि सरस्वति प्रभा तरपेन श्री अप्पुराय पै समेत यक्षगान कलारंग (रि) उडुपि हाज्जॆ कार्यदर्शि श्री मुरलि कडॆकार्, यक्षगान अकाडॆमि अध्यक्ष प्रो. ऎम्.ऎल्.सामग, श्री आर्‍गोडु मोहनदास शॆणै आदि गण्य उपस्थित आश्शिलॆ. वरदि : अप्पुराय पै.

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