ಶನಿವಾರ, ಜುಲೈ 12, 2014

Konkani News 6/14-3 Saraswati Prabha

जुलै मैन्याचॆ डैरि
श्री महाविष्णु, श्री वॆंकटरमण आनि श्री हनुमंत देवळ, शिरसि : जु .२९ - सामूहिक कुंकुमार्चन. श्री वॆंकटरमण मंदिरांतु जि.ऎस्.बि. महिळा मंडळि तरपेन सांजॆ ६-३० गंट्याक कुंकुमार्चन, दिवॆं हुज्वाडांतु फुल्लापूजा. जु. ७ - श्री वॆंकट रमण देवळांतु दशमि पालंखि उत्सवु. फुन्वॆक - हनुमंत देवळांतु सांज्वाळा सामूहिक सत्यनारायण पूजन. अमासॆक - हनुमंत देवळांतु सांज्वाळा सामूहिक शनि कथा, संकष्ठिक-  श्री वॆंकटरमण देवळांतु श्री सत्य गणपति कथा.
श्री लक्ष्मी वॆंकटेश देवळ, सिद्धापूg : जु.७ - श्री देवालॆ संप्रोक्षण, चातुर्मासु सुरुवात. सांज्वाळा ७-३० गंट्या दाकूनु भजन .जु-१५ - अंगारकि संकष्ठि वृत, गणोमु. माहितिक : ०८३८९ - २३२२९७.
श्री लक्ष्मीवॆंकटरमण देवळ, सागg : जु. ५ - संप्रोक्षणॆ, श्री देवालॆ चातुर्मास वृतारंभ, जु. ८ - एकादशि वृत, अखंड भजन. जु. १३ - श्रीमद् श्री सुकृतींद्र स्वाम्यांगॆलॆ पुण्यतिथि, संतर्पण. जु. १५ - अंगारकि संकष्ठि वृत, गणोमु. माहितिक : ०८१८३ - २२६८७७
श्री लक्ष्मीवॆंकटरमण देवळ, पडुबिद्रि : जु. ८ चातुर्मास्य दशमि. सक्काणि ९-०० गंट्याक देवता प्रार्थन, पंचामृताभिषेक, समाराधन. माहितिक : ०८२० - २००४२४१.
श्री वरदराय वॆंकटरमण देवळ, गुरुपुर : जु. ८ - श्री देवालॆ चातुर्मास्य वृतानुष्ठान, जु. १३ - श्री सुकृतींद्र तीर्थ स्वाम्यांगॆलॆ पुण्यतिथि. जु. २७ - श्रावण मासारंभ.
कोट श्री काशिमठ, कोट : जु.१३ - श्री सुकृतींद्र तीर्थ स्वाम्यांगॆलॆ ६३चॆ पुण्य तिथि. सक्काणि देवाक विशेष अभिषेक, महापूजा, गुरु पादुकापूजा, महा समाराधन, रात्तिक भजन, गुरु गुणगान, वसंत पूजन. जु. १४ - कोट श्री काशीमठांतु संप्रोक्षण, द्वादश कलशाभिषेक, सान्निध्य हवन, महा पूजन. जु. १६ - श्री संस्थान काशीमठाधीश श्रीमत् सुधींद्र तीर्थ स्वाम्यांगॆलॆ चातुर्मासु नवदॆहलि सारस्वत भवन आनि तांगॆल शिष्य श्रीमत् संयमींद्र तीर्थ स्वाम्यांगॆलॆ चातुर्मासु वाल्केश्वर, मुंबयि हांगा आरंभ.
श्री लक्ष्मीनारायण, रामनाथ, श्री शांतेरि कामाक्षि, बेताळ देवस्थान, भट्कळ : जु. २ - श्री देवालॆ सन्निधिंतु पाण्णॆ सेवा, जु. १२ - फुन्वॆचॆ पालंखी उत्सवु. जु. २६ - अमासॆचॆ पालंखी उत्सवु. माहितिक : ९९०१६३७३७७
कॊंकणि मठ श्री वॆंकटरमण देवळ, कापु : जु. ७ - सक्काणि पंचामृताभिषेक, द्वादश कलश, धोंपारा महा समाराधन, श्री देवालॆ चातुर्मास्य आरंभ. जु. ९ -आषाढ एकादशि. जु. १३ - श्रीमद् सुकृतींद्र तीर्थ स्वाम्यांगॆलॆ पुण्य तिथि, धोंपारा समाराधन, रात्तिक फुल्ला पूजा. जु. २२ - एकादशि भजन. जु. २९ - श्री हळे मारियम्म देवळांतु कालावधि आटि मारिपूजन.
श्री रामंदिर कॆसरगद्दॆ : जु. २ - सक्काणि ८-३०क नागकट्टॆंतु पंचामृताभिषेक. जु. १५ - संकष्ठि, सक्काणि १०- ०० गंट्याक गणोमु.
श्रीमत् अनंतेश्वर देवळ, मंजेश्वg : जु. ९ - आषाढ एकादशि, जु. १२ - शतकलश. माहितिक : ०४९९८ - २७२२२१, २७४४७७.
श्री वॆंकटरमण देवळ, बॆंगळूरु : जु.५ - श्री चप्पर विनायक देवालॆ १४ वर्षाचॆ प्रतिष्ठापना वर्धंत्युत्सवु. सक्काणि अभिषेकु, प्रार्थन, १०८ नार्‍लाचॆ गणोमु, महा पूजा, महा संतर्पण, भजन, रात्तिक विशेष पूजा. जु. ७ - चातुर्मास्य सुरुवात, सानिध्य हवन, ब्राह्मण संतर्पण.
श्री लक्ष्मीवॆंकटेश देवळ, उडुपि : जु.७ - श्री देवालॆ चातुर्मासु आरंभ. संप्रोक्षण, पंचामृताभिषेक, शतकलशाभिषेक. जु. १३ - श्रीमद् सुकृतींद्र तीर्थ स्वाम्यांगॆलॆ पुण्यतिथि आराधन, रात्तिक पालंखी उत्सवु.

Konkani News Saraswati Prabha 6/14-2

कॊंकणि अकाडॆमिंतु पुस्तकां लॊकार्पण
कर्नाटक कॊंकणि साहित्य अकाडॆमिन ता. ०६.०५.२०१४क अकाडॆमिचॆ सभांगणांतु दोन पुस्तकां लॊकार्पण कॆल्लिं. कॊच्चि अनंत भट् हांचॊ कवितापुंजॊ फ्हूल् आनि कांटॊ म्हाडॊ कॊंक्णि साहिति मा.बा. मार्क् वाल्डर् हाणिं लॊकार्पण कॆल्लॊ. “ साहित्य अभिवृद्दि जाल्यारि भास वाडता. कॊंकणि भास आनि साहित्य उदर्गति खात्तिरि कॊंकणि साहित्य अकाडॆमि मस्त वाव्रॊ करीत आस्स. हे आन्निकॆ पसरॊ. म्हॊणु तान्नि उलैलॆ. वितॊरि कार्कळ् हाणिं पुस्तकाचि वॊळक् कोर्नु दिल्लि.
डा. अरविंद श्यानभाग् हाणॆं भाषांतर कॆलेल्लि कविरत्न काळिदास हांचि कृति मेघदूत दक्षिण कन्नड जिल्ला पत्रकर्तर संघाचॊ अध्यक्ष्ष श्री पि.बि.हरीश् रै हाणिं लॊकार्पण् कॆल्लॊ. सुर्वॆक कर्नाटक कॊंकणि साहित्य अकाडॆमिचॊ अध्यक्ष श्री रॊय् क्यास्तॆलिनॊ हान्नि यॆव्कार् कॆल्लॊ. वॆदिकेरि अकाडॆमि रिजिस्ट्रार् डा.बि. देवदास् पै हाजर आश्शिल्लॆ. अकाडॆमिचॊ सांदॊ डा. चेतन कुमार् नायक हाणिं कार्यॆं चलय्लॆ आनि श्रीमति ममता कामत् हीणॆ आबार मानलॆ.
ऎस्‌ऎस्‌ऎल्‌सिंतु कॊंकणिक १००% फलितांश
हे २०१३-१३ पंताचॆ धांचॆ क्लासाचॆ पब्लिक् परीक्षॆंतु तृतीय भास जाव्नु कॊंकणिंतु बरॆयिलॆ सर्व विद्यार्थि उत्तीर्ण जाव्नु सतत तीस्रॆ वर्ष वरेक कॊंकणक १००% फलितांश मॆळ्च तश्शि कॆल्लिंति. दक्षिण कन्नड आनि उडुपि जिल्ल्याचॆ ८ हैस्कूलाचॆ ६२ विद्यार्थि अवुंदु परीक्षॆक बैसूनु सर्व उत्तीर्ण जाल्लिंति.
विश्व कॊंकणि केंद्र, मंगळूरु
“कॊंकणि भाषॆचॆ अभिवृद्धि आनि प्रसाराक विश्व कॊंकणि केंद्र  आनि कर्नाटक कॊंकणि साहित्य अकाडॆमि संशोधन आनि भाषांतर कार्‍यांत मुखार यॆवन जन मॊगाळ जालया. निरंतर जावन कॊंकणि शिकचॆ विद्यार्थ्यांक साहित्य  आनि संशोधनॆंत  मुखार यॆवचॆ तशि करचॆ विश्व कॊंकणि केंद्राचॆ कार्यॆं अशिं कर्नाटक कॊंकणि साहित्य अकाडॆमिचॆ अध्यक्ष श्री रॊय् क्यास्टलिनॊ हान्नि श्लाघन कॆल्लॆं. तान्नि शक्तिनगराचॆ विश्व कॊंकणि केंद्रांत प्रारंभ जाल्लॆलॆ कॊंकणि भास आनि अनुवाद कार्‍यगार  ८-०५-२०१४क उग्तावण कोर्नु उलैताश्शिलॆ. कार्‍यागाराचॆ संचालकि गोवा विश्व विद्यानिलयाचॆ आंग्ल भाषा उपन्यासकि डा. किरण बुडकुळॆ उलॊवन “गोंय्चॆ विद्यार्थिंक  कर्नाटकाचॆ कॊंकणि भाषॆचॆ परिचय दिवचॆ खातिर  एक हप्तॊ अनुवाद आनि लिप्यंतर तरबेति विश्व कॊंकणि केंद्रांत आयोजन कॆल्लां म्हॊणु कार्‍यक्रमाचॆ उद्देश सभिकांक कळयिलॆ.
विश्व कॊंकणि सरदार, अध्यक्ष श्र्ती बस्ति वामन शॆणै हान्नि कॊंकणि विंगड भाषॆचॆ जनांकय पावॊचाक आनि विंगड भाषॆचॆ साहित्य कॊंकणिक हाडचॆ आकांक्षॆ दवरन गोंय्चॆ विद्यार्थिंक अनुवाद अभ्यासाक  एक हप्त्याचॊ तरबेति शिबिर आयोजन कॆल्लां म्हॊणु सांगलॆ. वेदिकॆरि भाषातज्ञ  डा. रमेश डोंगडॆ, अकाडॆमिचॆ रिजिस्ट्रार् डा. पि. देवदास पै उपस्थित आशिलिंचि. विश्व कॊंकणि केंद्राचॆ सहायक निर्देशक श्री गुरुदत् बंट्वाळकारन कार्यक्रम निर्वहण कॆल्लॆं. समारंभांत लेखकि गीता सि. किणि, शाळॆंत कॊंकणि शिक्षण प्रचार संचालक  डा. कॆ. मोहन पै, कॊंकणि प्रचार संचलन श्री विक्टर मथायस्, कॊंकणि अकाडॆमि सदस्य डा. अरविंद श्यानभाग, ब्यांकिंग् तज्ञ मानॆस्त अलॆन् पिरॆरा हाजर आशिलिंचि. गोवा विश्व विद्यानिलयाचॆ  ३० शिबिरार्थि कार्‍यागारांत भागि आशिलिंचि. कॊंकणि अकाडॆमि सदस्यॆ डा. वारिजा नीरेबैल् हान्नि धन्यवाद समर्पण कॆल्लॆं.
गौड सारस्वत समाज दावणगॆरॆ
दावणगॆरॆचॆ गौड सारस्वत समाज मंदिर श्री सुकृतींद्र कलामंदिराक काशिमठाचॆ श्री वरदेंद्र  तीर्थ महास्वाम्यांगॆलॆ पुण्यतिथि शतमानोत्सव रथयात्रॆ  ता. २८-४-१४क आय्यिलॆ. हे संदर्भारि दावणगॆरॆ समाजा तरपेन ‘गुरुवंदन समारंभ आयोजन कॆलेलॆ. समारंभाक मुखेल सॊयरॆ जाव्नु शिवमॊग्गाचॆ ख्यात संस्कृत विद्वांस वेदब्रह्म नारायण भट् तान्नि आय्यिलॆ.  तान्नि उलोव्नु “मनुष्यालॆ जीवन सार्थक जावचाक आनि मोक्षाक देवु, धर्मु आनि गुरु मार्गदर्शन मुख्य जाव्नु जाव्का पड्ता. म्हळ्ळॆ. समाजाचॆ सुवासिनि बाय्लमन्शॆन पुष्पवृष्ठि कोर्नु, पूर्णकुंभ स्वागत बरशि हे रथयात्रॆक स्वागत कॆल्लि. वेदिकॆरि बॆंगळूर्‍चॆ सर्वश्री वेदव्यास प्रभु, नरसिंह नायक्, नरसिंह शर्म, गौतम् पै, सत्यनारायण नायक्, हुब्ळिचॆ श्री बि.सुदर्शन बाळिगा, श्री राघवेंद्र पै, दावणगॆरॆ महिळा विभागाचॆ अध्यक्षॆ सुशीला उमेश कामत् आदि गण्य उपस्थित व्हरलीलॆ. समारंभाचॆ अध्यक्षता दावणगॆरॆ गौड सारस्वत समाजाचॆ अध्यक्ष श्री सि.पि.कामत् तान्नि घॆत्तिलॆ. सुरवेक प्रार्थना पुष्पा ज्ञानदेव शॆणै, शीला रविचंद्र नायक् हान्नि कॆल्लि. रेखा प्रभु तान्नि येव्कार कॆल्लि. कार्यदर्शि सालिग्राम गणेश शॆणै तान्नि समारंभाचॆ निरूपण कॆल्लि. उपाध्यक्ष ऎ.जॆ. रघुपति किणि तान्नि आबार मान्लॆ. तत्संबंध सामूहिक श्री सत्यनारायण पूजा आयोजन कॆलेलॆ. हांग्चान रथयात्रा हुब्ळिक घॆल्लि.
चित्र-वरदि : सालिग्राम संदीप शॆणै,
श्री लक्ष्मी देवळ, बॆरोळ्ळि
हॊन्नावर ता॥ बेरोळ्ळि जि.ऎस्.बि. समाजाचॆ श्री लक्ष्मीवॆंकटेश देवळांतु शिखर कलश प्रतिष्ठापना महोत्सवु ता. १९-५-१४ दिवसु श्री गोकर्ण पर्तगाळि जीवोत्तम मठाधीश श्रीमद् विद्याधिराज तीर्थ स्वाम्यांगॆलॆ दिव्य करकमलानि संपन्न जाल्लॆ. तत्संबंध ता. १८-५-१४ दाकूनु १९-५-१४ पर्यंत देवता प्रार्थना, राक्षॆघ्न शांति, वसंत पूजना, नवग्रह-वास्तु शांति, शिखर कलश सप्ताधिवास, आधिवास, मंगळूर्‍चान शुभागमन कॆलेलॆ प।पू। स्वाम्यांक पूर्णकुंभ स्वागत, श्री गुरुपाद पूजन इत्यादि कार्यक्रम चल्यारि. शिखर कलश प्रतिष्ठापना दिवसु सुप्रभात पठण, नूतन शिखर कलशाक पंचविंशति कलशाभिषेक, सान्निध्य हवन, मिथुन लग्नांतु प।पू। स्वाम्यांगॆलॆ दिव्य करकमलानि शिखर कलश प्रतिष्ठापन, गुरु भिक्षा, प।पू। श्रीमद् विद्याधिराज तीर्थ स्वाम्यांगॆलॆ दिव्य सान्निध्यारि सभा कार्यक्रम चल्लॆ. हे कार्यक्रमाचॆ मुखेल सॊयरॆ जाव्नु उन्नत शिक्षण आनि उत्तर कन्नड जिल्ल्याचॆ उस्तुवारि सचिव श्री आर्.वि. देशपांडॆ आय्यिलॆ. समारंभ उपरांत प।पू। स्वाम्यांक तांगॆलॆ मुखावैलॆ मुक्कामाक सर्वानि मेळ्नु शुभ विदाय कॆल्लॆ.
श्री पट्टाभिरामचंद्र देवळ, बार्कूरु
बार्कूराचॆ पट्टाभि रामचंद्र देवळाचॆ ५२चॆ प्रतिष्ठा वर्धंत्युत्सव प्रयुक्त ता. १६-५-१४ क सांज्वाळा  देवता प्रार्थन, भजन, रात्रि पूजा, फुल्ला पूजा, मंगळार्ति चल्यारि, ता. १७-५-१४ दिवसु पंचामृताभिषेक, शतकलशाभिषेक, गंगाजलाभिषेक, महामंगळार्ति, महा पूजा, संतर्पण, भजन इत्यादि धार्मिक कार्यक्रम चेल्नु हे उत्सवु विजृंभणेरि चलेलॆ खब्बर मॆळ्ळा.
श्री लक्ष्मीवॆंकटरमण देवळ, तीर्थहळ्ळि
श्री काशीमठाधीश श्रीमद् सुधींद्र तीर्थ स्वाम्यांगॆलॆ दिव्य करकमलानि प्रतिष्ठापित जालेलॆ तीर्थहळ्ळिचॆ तिरुमल श्री लक्ष्मीवॆंकटरमण देवळाचॆ पंचम प्रतिष्ठा वर्धंति ता. १-६-२०१४ आनि २-६-२०१४ दिवसु चल्लॆ. हे संदर्भारि नूतन शिखर कलश प्रतिष्ठा, परिवार देवु जालेलॆ महालक्ष्मी, मुख्यप्राण, गरुड, महा गणपति तश्शीचि नागदेवालॆ प्रतिष्ठायि चल्लॆ. तत्संबंध ता. १-६क दा समस्तालॆ प्रार्थना, ५ नार्‍लचॆ आद्य गणयाग, तीर्थहळ्ळिचॆ कु.शांतेरि ऎन्. कामत् आनि पंग्डाचालॆ भजना संध्या, राक्षॆघ्न हवन, नवग्रह वास्तु पूजन, हवन, वास्तु बलि, आधिवास, नेत्रोन्मिलन, प्राणप्रतिष्ठॆ, शय्याधिवास, इत्यादि धार्मिक विधि चल्लॆ. ता. २-६क कवाट उद्घाटन, महाप्रार्थन, पंचामृताभिषेक, शतकलशाभिषेक, ब्रह्मकलशाभिषेक, गंगाभिषेक, परिवार देवांक श्री देवालॆ तीर्थाभिषेक, नूतन कलश आनि परिवार देवालॆ प्रतिष्ठा, श्री वॆंकटरमण देवाक प्रतिष्ठांग प्रसन्न पूजन, सानिध्य हवन, प्रायश्चित विष्णु गायत्रि हवन, आश्लेषा बलि, सपरिवार श्री वॆंकटरमण देवाक महा पूजन, दंपति पूजन, अष्ट वटु आराधन, ब्राह्मण पूजन, आशीर्वचन, भूरि समाराधन चल्लॆ. हे वेळ्यारि चलेलॆ मंगळ सभांतु श्री देवळा तरपेन दिव्चॆ  प्रतिष्ठित श्री वॆंकटरमण सेवा प्रशस्ति दुबाय हांगा उद्यमि जाव्नु आस्सुचॆ मुनियालाचॆ श्री अंडारु रामदास किणि (२०१४ सालाचॆ), सागराचॆ दानि श्रीमति वंड्सॆ शकुंतला शॆणै (२०१३ सालाचॆ)हांका दीव्नु सन्मान कॆल्लॆ. ताज्ज उपरांत प्राकारोत्सवु, अष्टावधान सेवा, वसंत पूजन इत्यादि धार्मिक कार्यक्रम चल्लॆ.
श्री वॆंकटरमण देवळ, शिरसि
शिर्शिचॆ श्री वॆंकटरमण देवळांतु भक्ताधि लोकालॆ इष्टार्थ पूर्ति जाव्च खात्तिरि श्री देवाक “सर्वाभरण पूजा सेवाचॆ व्यवस्था कॆलीलॆ आस्सुनु  ह्या खात्तिरि सेवा शुल्क : रू. १५०५/- दवर्‍ल्या. इत्लॆ दिल्ल्यारि वर्षांतु तुम्का जाव्का जालेलॆ एक्दीसु  हे सेवा चलोव्नु प्रसाद पॆटोव्नु दित्ताति. माहितिक ९५९१५९६५७५(मॆनेजर) हांगाक संपर्कु करा.

Konkani News Saraswati Prabha 6/14-1

शिर्शिंतु डा. वि.ऎस्.सोंदॆंक सत्कारु.
    शिरसिचॆ डा.वि.ऎस्.सोंz हांका तान्नि शिक्षण, ब्यांकिंग आनि समाजसेवा क्षेत्रांतु कॆल्लिल्या विशेष साधनेक मान दीव्नु धारवाडाचॆ कर्नाटक विश्वविद्यालयाचॆ वतीन गौरव डाक्टरेट प्रदान कॆल्लिल्या खुषीन शिरसिचॆ गौडसारस्वत  समाजा वतीन मे २ तारिखे दिवस शिरसिंतु जाल्लिल्या श्री वॆंकटरमण देवस्थानाचॆ वर्धंति उत्सवांतु तांका आत्मीय सन्मानु कॆल्लॊ. श्री विद्याधिराज कलाक्षेत्रांतु आयोजन कॆल्लिल्या वर्णरंजित समारंभांतु सान्निध्य दिल्लिल्या श्री गोकर्ण पर्तगाळी जिवोत्तम मठाधीश श्रिमद् विद्याधिराजतीर्थ स्वामी महाराजांलॆ हात्तान तांका शालु पांगूर्नु फलपुष्प आनि मंत्राक्षत दीव्नू आशीर्वादु कॆल्लॊ. सन्मानित डा.सोंदॆ हान्नि आजि मॆगॆल्या जीवनांतु एकु अविस्मरणीय दिवसु. हांवॆ घॆल्लिल्या ५० वर्ष कॆल्लिल्या समाजसेवेक कर्नाटक विश्वविद्यालयान मॆगॆलि सेवा मानूनु दिल्लिल्लि ही डाक्टरेट प्रशस्ति माक्का खुषी दिल्या. ताज्जापेक्षां आजि श्री स्वामि महाराजालॆ दिव्य हस्तान दिल्लिल्लॊ हो आशीवाद पूर्वक सन्मानु माक्का आनीकॆ जास्ति खुषीचॊ अश्शिं तान्नि सांग्लॆं. ह्या समारंभांतु देवळाचॆ मॊक्तेसर श्री विष्णुदास कासरकोड, कार्यदर्शि श्री ऎम्.ऎस्.प्रभु , सेवा समिति सदस्य श्री पांडुरंग पै, श्री गोपालक्रिष्ण देवळाचॆ मॊक्तेसर श्री प्रकाश कामत, श्रि वासुदेव शानभाग उपस्थित आश्शिल्लॆ.

  वरदि- वासुदेव शानभाग शिरसि.

बॆंग्ळूरांतु मॊबैल् कॊंकणि बजार् उद्घाटन

“आजि साहित्यालागिं लोकु येनांति. त्या खात्तिरि लॊकालाग्गि साहित्य व्हरचि विशिष्ठ यॆव्जण कॊंकणि अकाडॆमिन घॆत्तिलॆ स्तुत्य आस्स. ह्या यॆव्जणॆचॊ रूवारि श्री रॊय् क्यास्तॆलिनॊ आनि तांगॆल्या पंग्डाक हांव अभिनंदन पावय्ता. हि यॆव्जण सफल जाव्नु विंगड अकाडॆमिकंय् हे एक प्रेरण जांवॊ अश्शि म्हॊणु ता. २४-५-२०१४क कर्नाटक कॊंकणि साहित्य अकाडॆमिचॆ महत्वाकांक्षि प्रयत्न “मॊबैल् कॊंकणि बजार् उग्तावण कोर्नु कन्नड आनि संस्कृति इलाख्याचि मंत्रि श्रीमति उमाश्रीन म्हळ्ळॆ.
कार्यक्रमाचॊ मुखॆल सॊयरॆं सॆंचुरि बिल्डर्स् हाज्जॆ म्हालक आनि उदार
दानि डा॥ दयानंद पै हाणॆं “अकाडॆमिचिं अस्सलिं यॆव्जण कॊंक्णिक व्हड्पण दित्तांति. ह्या योजनॆचॆ प्रयोजन शॆहरांतु मात्र न्हंयि, खेडॆंत्या(हळ्ळ्यांत्ल्या) लोकांखंयि वच्चुनु पावॊं म्हॊणु सांग्लिंति. कन्नड आनि संस्कृति इलाख्याचॆ प्रधान कार्यदर्शि श्रीमति शालिनि रजनीश्, निर्देशक श्री कॆ. ऎ. दयानंद, अकाडॆमि अध्यक्ष श्री रॊय् क्यास्तॆलिनॊ, रिजिस्ट्रार् डा॥ देवदास पै, ब्यारि अकाडॆमि अध्यक्ष श्री बि ऎ हनीफ्, तुळु अकाडॆमि अध्यक्ष श्रीमति जानकि ब्रह्मावर तशिंचि अकाडॆमिंचॆ  सर्व सांदॆ, ऎफ् कॆसि‌ऎचि अध्यक्ष श्रीमति ऐडा डिकुन्हा इतर लोक आय्यिलॆ. संचालक लॊरॆन्स् डिसॊजान कार्यक्रम चलोव्नु व्हल्लॆ.
मॊबैल् कॊंकणि बजार: कॊंक्णि साहित्य आनि संगीत कॊंकणि कोला पर्यंत पावय्चॆ एक विशिष्ठ प्रयोगचि ‘मॊबैल् कॊंकणि बजार. कॊंक्णॆंतु प्रकट जाव्नु मस्त नवीन पुस्तकां आनि सिडि यॆत्ताति. जाल्यारि बरॆं मार्कॆट व्यॆवस्ता नात्तिल्ल्यान लॊका परियंत वच्चुनु पाव्ना. त्या कारणान एक सुसज्जित वाहनारि, ड्रैवर् आनि एकळॊ सांगाति ऊर्नु अकाडॆमि प्रकटणा, अकाडॆमिन घॆत्तिलॆ सर्व पुस्तकां आनि सिडि कॊंक्णि लोकु आश्शिलॆ कडेन व्होर्नु, कॊंकणि कार्यक्रमा वेळ्यारि व्होर्नु विक्रयि   कॊर्‍चि व्यॆवस्था ‘मॊबैल् कॊंक्णि बजार् कॊंकणिंतु प्रकट जाव्चि नंव्हि नंव्हि साहित्य, ज्ञान, विज्ञान, बालसाहित्य इत्यादिक संबंध पाव्विलॆ कृत्यो आनि संगीत सि.डि. हांतु वाचकांक तांगॆलॆ अडच मॆळ्चॆ तश्शि जात्ता. खंचेयि एक भास वांचका जाल्यारि तांतु साहित्य सृष्ठि च्हड जाव्का. साहित्य सृष्ठि च्हड च्हड जाव्का जाल्यारि लोकानि दुड्डु दीव्नु घेव्नु साहित्य पुस्तक वाच्चुचॆ हव्यासु च्हड जाव्का.  त्या कारणान तुम्गॆलॆ गांव्चॆ तेरु इत्यादि खंचे विशेष संदभारि हे व्यान् तुमगेलॆ गांवाक आयल्यारि तांतु तुम्का आवड्चॆ पुस्तक घेव्नु हे चळ्वळीक यश मॆळ्चवरि करा.

ಶುಕ್ರವಾರ, ಜುಲೈ 11, 2014

Saraswati Prabha's 25th Konkani Books

सरस्वति प्रभा प्रकाशनाचॆ २५ कॊंकणि कृति लोकार्पण
 

हुब्बळ्ळिंतु घॆले २६ वर्ष दाकूनु अल्पसंख्यात कॊंकणि भाषाभिवृद्धि खात्तिरि वाव्रो करीत आस्सुचॆ “सरस्वति प्रभा प्रकाशन’’ आर्‍गोडु सुरेश शॆणै हान्नि कॊंकणिंतु रचयिलॆ  “स्वामि विवेकानंद जीवन घटना’’ म्हण्चॆ कृति प्रकट कॆल्ला. हे ‘सरस्वति प्रभा प्रकाशन तरपेन प्रकटि जालेलॆ  कन्नड लिपिचॆ २५चॆ कॊंकणि कृति जाल्ला.  ता. २२-६-२०१४ दिवसु धारवाडाचॆ विद्यावर्धक संघाचॆ सभागृहांतु चलीलॆ कर्नाटक कॊंकणि साहित्य अकाडॆमिचॆ २०१३चॆ सालाचॆ वार्षिक प्रशस्ति प्रधान समारंभांतु कर्नाटक राज्य कन्नड हागू संस्कृति सचिवॆ श्रीमति उमाश्री आनि कॊंकणि साहित्य अकाडॆमि अध्यक्ष  श्री राय् क्यास्तलिनो हान्नि हे कृतिचॆ लोकार्पण कॆल्लि. हे वेळ्यारि  कॊंकणि साहित्य अकाडॆमि रजिस्ट्रार् डा॥ देवदास पै, सिस्टर्, कृति रचनाकर्त आर्‍गोडु सुरेश शॆणै, डा॥ चेतन कुमार नायक्, श्री गजानन महालॆ, श्री संतोष महालॆ, श्री अरविंद श्यानुभाग,  समेत इतर सबार गण्य उपस्थित व्हरलीलॆ. हे पर्यंत  सरस्वति प्रभा प्रकाशन तरपेन कन्नड लिपिंतु प्रकटि कॆलेलॆ  कॊंकणि कृति राज्याद्यंताचॆ १५ पशि च्हड  कॊंकणि कवि, साहिति लोकानि बरॆयिलॆ आस्सुनु, हांतु ल्हान काण्यो, कादंबरि, कवन संकलन, हास्य संकलन, बाल साहित्य, आरोग्य, प्रवास कथन, कॊंकणि जानपद, आध्यात्म, आयुर्वेद, नाटक, डौसिंग्, उद्दाक इत्यादि विषयाक संबं ध पाव्विलॆ  कृति  प्रकटि कॆल्ला.  कॊंकणि बांधवानि  हे पूरा कॊंकणि कृति खरीदि कोर्नु प्रोत्साह दिव्का म्हॊणु प्रकाशकालॆ तरपेन विनंति आस्स. माहितिक : saraswatiprabha@rediffmail.com

ಶುಕ್ರವಾರ, ಜೂನ್ 20, 2014

हुब्ळि हॊटेलांतु “प्रॆसिडॆंट्  दि प्रॆसिडॆंट् होटेल्
“रान्ना मध्यॆ व्यवस्थित जाव्नु दवरिलॆ टेबल् आनि कुर्चियो; थंयि तुम्का जायि जालेलॆ सस्याहारि खाण-जवण हाणु दिवचॆ सप्लेयर्, चॆर्डुंव रड्तावे? बोर् जात्ता म्हॊणु बेजार्‍तावे? चिंता कोर्नक्काति थंयिचि तांका खेळचाक, मस्ति दाखयचाक जायि जालेलॆ खेळणि आस्स, तांतु तान्नि आराम जाव्नु खॆळताति. चिक्कॆ तुम्का मुखार्‍चॆ बगलेचॆ जागो मॆळ्ळॆ म्हॊणु जाल्यारि तॊग्गु ल्हान ल्हान खेळणि वरि वच्चॆ यव्चॆ वाहन, ताज्ज मुखारि पाच्वॆ हांतूळ्नु निद्दॆलॆ पार्का ऎद्राक विशाल जलराशि...!  रान्ना भित्तरि गुहॆ आस्सुचॆ सहज न्हंहिवे? आमगेलॆ पुरातन ऋषि-मुनि ताज्ज भित्तरि बैसूनु घोर तप-जप कोर्नु परमात्माक साक्षात्कार कोर्नु घॆत्ता आश्शिल खंयि. जाल्यारि तुम्मि हे आफ्रिकन् गुहा भित्तरि रिगलेरि, थंयिचि सुव्यवस्थित जाव्नु दवरीलॆ टेबल्ला मुखार्‍चॆ कुर्चॆ वय्रि बसल्यारि शुचि- रुचि आश्शिलॆ खाण, जवण मॆळ्ता.  
हे खंचेयि सिनेमा सॆट्टाचॆ वर्णन न्हंहि, ऎप्रिल् २८क हुब्बळ्ळिंतु उणकल् थंळॆ ऎद्राक “पै ग्रूप्स् तरपेन सुरुवात जालेलॆ “दि प्रॆसिडॆंट् हॊटेल् हांतुलॆ ४ माळयेरि आस्सुचॆ विशिष्ठ हवानियंत्रित रॆस्टोरॆंटाचॆ वर्णन हांवॆ इत्लॆ वेळु कॆलीलॆ.
‘पै ग्रूप्स्   हाज्जॆ तरपेन वाणिज्य नगरि हुब्बळ्ळि लोकालॆ सेवॆ खात्तिरि समर्पित जालेलॆ “दि प्रॆसिडॆंट् हॊटेल्लाचॆ उद्घाटन ता. १२-४-२०१४ दिवसु आर्.पि. कामत् ग्रूपाचॆ आडळित निर्देशक श्री रामचंद्र आर्. कामत्तानि कॆल्लॆ.  हे वेळ्यारि “पै ग्रूप् आफ् हॊटेल्स् हाज्जॆ व्यवस्थापक निर्देशक आनि अध्यक्ष जाव्नाश्शिलॆ श्री जगन्नाथ वि. पै, श्रीमति शांता जगन्नाथ पै, श्री सुजय जॆ. पै आनि श्री अजय जॆ. पै, डैरॆक्टर्  रमेश प्रभु समेत  अपार गणमान्य लोक उपस्थित व्हरलीलॆ.
हे हॊटेल्लांतु उद्यमि आनि ग्राहकांक चांग सेवा दिव्चॆ खात्तिरि कंफर्ट्स्, लक्षुरि आनि क्लब् सूट्स् म्हणचॆ तीनि नमून्याचॆ रूम्स् उपलब्ध आस्स. कूडांतु जाय तित्लॆ विशाल स्थळावकाश आस्स. स्याट् लैट् टि.वि., काफि मेकर्‍स्, मिनि बार्‍स्, हेर् ड्रयर्‍स्, डैरॆक्ट् ऎस्.टि.डि आनि ऐ.ऎस्.डि. डयलिंग्, इलॆक्ट्रानिक्स् सेफ्स्, वै-फै इंटर्‌नॆट्, ऍक्सॆस् समेत विविंगड नवीन सौलभ्य ग्राहकांक उपलब्ध आस्स. कान्फरॆन्स्, सम्मेळन आयोजन कॊर्‍च जाल्यारि वरेक ताक्क जाय जालेलॆ ‘आरियान् आनि ‘ओपल् म्हण्चॆ सभांगण, हालाक वैफै इंटर्‌नॆट्, आडियो - विज्युयल् टॆक्नालजि, माडर्न् तांत्रिकता  वापर्‍ल्या. सभांगणांतु ‘यु आकार, क्लास्‌रूम् नांवॆ थियेटर् नमून्यान आसन व्यवस्था कॊरयेत. ‘सम्मिलन नांवाचॆ पार्टि हालांतु व्हरडीक, मूंजि, आर्तक्षत इत्यादि शुभ समारंभ व्यवस्थ कॊरचाक सूक्त जाव्नु आस्स. हांगा ग्राहकालॆ रुचि-अभिरुचिक सम जाव्नु रांदप तयार कोर्नु वाड्चॆ व्यवस्थायि आस्स.
लिप्ट् चोणु चारि माळेरि घॆलयारि कृतक रान सृष्ठि कोर्नु तयार कॆलीलॆ ‘जंगल् वॆज् रॆस्टोरॆंटांतु रान्ना मध्यॆ बैसूनु जव्चॆ अनुभवु तुम्का मॆळ्ता.ऎद्राक उणकल् थंळॆचॆ विहंगम दृश्य मनाक खंडित मस्त आनंद दित्ता. चॆर्डुंव अंतू खंडित अपार खुषि पावताति. ताक्क लाग्गूनू आस्स ‘गुफा रॆस्टोरॆंट् हांगा आफ्रिकन्  रान्नाचॆ आदिवासि लोकालॆ प्रतिकृति, कृतक जलपात, आफ्रिकाचॆ हिन्नलॆ संगीत मध्यॆ जवण कॊरचॆ खंडित एक विशेष अनुभवु. ऒट्टारॆ प्रतियॆक्ल्यान कुटुंब समेत भॆट्टूकाचि जालेलॆ एक अपरूपाचॆ हॊटेल् हुब्बळ्ळिचॆ ‘दि प्रॆसिडॆंट् हॊटेल्. सस्याहारि रांदप तयार कॊरचाक प्रत्येक रांद्पा कूड आस्सुचॆ हांगाचॆ आन्नेक विशेष. युवजणा खात्तिरि “देसि बीट् पब् वरेक आस्स.
हॊटेल् उद्यम बरशि तांतु घॊळ्चॆ नौकरा खात्तिरि काळ्जि दवरिलॆ ‘पै ग्रूप् आफ् हॊटेल्लाचॆ श्री जगन्नाथ पै मामु मूलतः कुंदापुर ता॥चॆ गंगॊळ्ळिचॆ. १९७३ंतु बॆंगळूरांतु पय्लॆ हॊटेल् सुरुवात कोर्नु बॆंगळूरु, मैसूरांतु सबार हॊटेल् सुरुवात कोर्नु यशस्वि जाल्लिंति. हुब्बळ्ळिचॆ ‘दि प्रॆसिडॆंट् हॊटेल् पै समूह संस्थॆचॆ १० चॆ हॊटेल् म्हण्चॆ आन्नेक विशेषु. नैशि सद्यांतु आंध्र प्रदेशाचॆ तिरुपतिंतु “पै वैसरायि म्हण्चॆ आन्नेक हॊटेल् सुरुवात जाव्चॆ आस्स. पै ग्रूप्स् आप् हॊटेल् व्हड वृक्ष जाव्नु वाड्डॆयिलॆ श्री जगन्नाथ पै माम्माक सबार संघ-संस्थॆ दाकूनु वरेक सत्कारु, सन्मानु पावित जालेलॆ आस्सुनु, बॆंगळूरु महानगरपालिकॆचॆ प्रतिष्ठित कॆंपेगौड प्रशस्ति वरेक हांका प्राप्त जाल्ला. हॊटेल् उद्यमांतु परमात्मु हांका आन्निकॆ च्हड यश प्राप्त जाव्च वरि कॊरॊ म्हॊणु दयामयलाग्गि हांव माग्णि कर्ता. -आसु.
कॊंकणि भाषाभिवृद्धिक खरेचि अभिमान जाव्का
कॊंकणि भास मस्त पुरातन म्हण्चॆ सर्वांक गॊत्ताश्शिलॆ विषयूचि. पोर्चुगीसालॆ आनि इतरालॆ बलत्काराचॆ मतांतर, दौर्जन्य कारणानि कॊंकणि लोकानि आम्गॆलॆ भास, संस्कृति, देवाक रक्षण कोर्नु घॆव्चॆ खात्तिरि काळ्ळॆलॆ वाव्रॊ इतिहासांतु दाखल जाल्ला. आजि कॊंकणि गोंय राज्याचॆ राज्य भास, ताक्का संविधानाचॆ आठ्ठा वॆळॆरॆंतु मान्यतायि मॆळ्ळा. गोंय, कर्नाटक, केरळांतु कॊंकणि अभिवृद्धि खात्तिरि सरकारा पोषित कॊंकणि अकाडॆमि वरेक अस्तित्वांतु आस्स. जाल्यारिचि कॊंकणि भास यवजिलि तित्लॆ जोरान अभिवृद्धि जात्ता आस्वॆ? ना. कितयाक म्हळयारि आम्मि भाषाभिवृद्धि जावचाक कस्सलॆ कोर्‍काकि त्या कर्ता नांति. पय्लॆचॆ जाव्नु आम्मि आमगेलॆ आवय भाषॆ वय्रि दवरूनु घॆत्तिलॆ अभिमानु मस्त कम्मि. ताज्ज उदर्गतिक कर्ता आस्सुचॆ प्रयत्न पुर्‍जाय्ना.
हे संदर्भारि आम्मि इतर भाषॆ कश्शि उदर्गति पाव्लिंति म्हॊणु चिक्कॆ नजर घाल्का. उदाहरणॆक इंग्लीष् घॆय्या. आजि इंग्लीष् विश्वमान्य भास जाल्लया. जाल्यारिचि पूरा बगलेन एक्का नमून्या इंग्लीष् ना. नैशि इंग्लीष् लोक तांगॆलॆ भाषॆ विषयांतु मस्त अभिमान पाव्चॆ लोक. इंग्लीष् मातृ भाषॆचॆ लोक हे भाषॆचॆ प्रभाव मस्त ऊणॆ आश्शिल तॆद्ना वरेक कित्लॆचि उन्नत स्थानाक घॆलयारिचि  इंग्लीषांतु व्यवहार कर्ता आश्शिलि खंयि. ताज्ज उपरांत विज्ञानि, राजकारणि लोकानि सैत इंग्लीषाक फ्रॆजर् दिल्लि. इंग्लीष् वाडचाक आन्नेक कारण म्हळयारि इंग्लीष् भाषॆंतु अन्य भाषॆ शब्ध सॊच्चाक घॆलयारि बहुशः त्या अर्धंश पशि च्हड आस्स. म्हळयारि तान्नि अन्य भाषॆ शब्दांक दाराळ जाव्नु स्वागत कोर्नु वापरचाक लाग्लॆ. हे पूरा कारणान आजि इंग्लीष् भास विश्व भास जाल्लया.
कॆलव वर्षा माकशि कन्नडांतु इंग्लीष् भाषॆ शब्दु नाक्का म्हण्चॆ कारणान इंजिनियराक अभियंतररु, पोलीसंचाक आरक्षकरु इत्यादि नांवानि आपैचाक लाग्लॆ. जाल्यारि लोकांक त्या अपरिचित जाल्लॆ. तश्शिचि कॊंकणि लोकानि वरेक हे विषयांतु चिक्कॆ विशाल भावना वाड्डोवनु घॆव्का.  पय्लॆ आम्गॆलॆ व्यवहारांतु कॊंकणि च्हड च्हड वापरका. पत्र व्यवहार, इंटर्‌नॆट्टांतु, फेस्‌बुक्कांतु कॊंकणिंतु बरयचाक (लिपि खंचे आस्सॊ) प्रयत्न कोर्‍का. आम्मि घरांतु कॊंकणि उलैताति. खंचे कारणांतु हाक्का च्युति यवचाक नज्ज. कॆलव लोक घरांतु इंग्लीषांतु उलैल्यारि चॆर्डुवालॆ शिक्पणाक मद्दत् जात्ता म्हॊणु इंग्लीष् उलैताति. हाज्जॆन इंग्लीष् उद्दार जावचाक पुरॊ, जाल्यारि कॊंकणि नाश जावचाक लाग्ता. कॊंकणिगांक आम्गॆलॆ भास विशाल प्रप्रंचांतु आम्गॆलॆ संस्कृति, संस्काराचॆ प्रत्येकता उरोनु घॆवचाक मद्दत कर्ता. दॊग्ग लोक कॊंकणि लोक अपरिचित जाल्यारिचि तान्नि त्या भास उलैताति म्हळ्ळ सता ‘आम्चगेलि म्हण्चॆ भावनेन परिचित जात्ताति. ना, पूरा लोक इंग्लीष् उलैता घॆलयारि मुखार एक्दीसु आम्मि “गुंपिनल्लि गोविंद जाव्नु आम्गॆलॆ प्रत्येकता लुक्सान कोर्नु घॆत्ताति.
आम्का सरकारा दाकूनु खंचे सौलभ्य मॆळ्ना. हे विषयु सर्व जाणूनु आस्सति. त्या कारणान आम्मि परस्पर उदर्गति पाव्का जाल्यारि अम्चगॆलेन परस्पर सहायु, सहकारु घेव्का-दिव्का. ताक्का एक प्रत्येकता; भास आम्का दित्ता. त्या कारणान कॊंकणि भाषॆ वय्रि सान्पणा दाकूनु चॆर्डुवांक अभिमान यव्चवरि कोर्‍का. ऒट्टारॆ ४२ पंग्डाचि कॊंकणि उलैताति म्हॊणु कॊंकणि अकाडॆमिन सॊद्ला. त्या कारणान कॊंकणि वाचनाभिवृद्धि, साहित्य कृषि च्हड कॊरचॆ जवाब्दारि अकाडॆमि वय्रि आस्स. कॊंकणिचॆ विंगविंगड संघ-संस्थॆ वय्रि आस्स. कर्नाटकांतु सर्कारान कॊंकणि साहित्य अकाडॆमि स्थापन कॆलयारिचि, ताक्केक अध्यक्ष, दा सदस्य, रिजिस्ट्रार इतर नौकर वर्ग दिलयारिचि ताज्ज निमित्त कॊंकणि साहित्या मॆळ्ता आस्सुचॆ प्रोत्साह मस्त ऊणॆ म्हॊणु खंचे अनुमान नाशि सांगेत. अकाडॆमि स्थापन जाव्नु १५-१६ वर्ष जाल्यारिचि कर्नाटक भित्तरि आस्सुचॆ कॊंकणि कवि, साहिति, बरोपिंक विश्वासाक घॆव्चॆ काम आन्निकॆ अकाडॆमिन कर्नि. वर्षाक दा-बारा कॊंकणि कार्यक्रम घडोव्नु, तांतु नाचूनु, गान गाय्ल कूड्लॆ कॊंकणि उद्दार जाव्नु घॆल्लॆ म्हॊणु समजूनु घॆत्तिल वरि दिस्ता. हाज्जेन सर्कारान दिलेलॆ अनुदान खर्चु जावचाक पुरॊ. जाल्यारि मुनापॊ कस्सलॆ मॆळ्ळॆ? हे मनाक व्हरका. मुखावैलॆ दिवसांतु पूणि हे दिक्कान कॊंकणि अकाडॆमि भाषाबिवृद्दि, कॊंकणि साहित्याभिवृद्धि, भाषाभिमान च्हड जाव्च तस्सालॆ कार्यक्रम घाल्नु घॆवोंति म्हॊणु अपेक्ष कर्ता.                       -आसु
तोन्सॆ पै कुटुंब, तॆंकनिडियूरु
तॆंकनिडियूरु तोन्सॆ पै कुटुंबस्थालॆ मूलनागदेवालॆ १८चॆ वर्धंति, आश्लेषा बलि सेवा आनि दैवाचॆ भोग ता. २०-४-२०१४ दिवसु देवता प्रार्थना, नवक प्रधान होमु, पंचामृताभिषेकु, १०८ कलशाभिषेकु, आश्लेषा बलि सेवा, महा पूजन, मंगळार्ति, वटु आराधन, दर्शन सेवा, अन्न संतर्पण, रात्तिक श्री बैकाड्ति- पंजुर्लि भोग इत्यादि कार्यक्रम बरशि चल्लॆ. विविंगड गांवांतु आश्शिलॆ कुटुंबाचॆ सर्व सदस्य हे संदर्भारि उपस्थित व्हरलीलॆ.
श्री लक्ष्मीनरसिंह भजना मंडळि, निड्डोडि
श्री लक्ष्मीनरसिंह भजना मंडळि, निड्डोडि, कल्लुमुंड्कूरु हांगा ता. १३-५-१४क सांज्वाळा सूर्यास्त दाकूनु सुरुवात जालेलॆ अखंड भजन हॆर्‍दीसु सूर्यानि उद्देचॆ पर्यंत चल्लॆ. हे संदर्भारि गांव्चॆ आनि परगांव्चॆ भजना पाळिचान यव्नु भजना कार्यक्रम चलोव्नु दिल्लॆ. त्या दिवसु रात्तिक अन्न संतर्पण आश्शिलॆ. हे कार्यक्रम विजृंभणेन चलयचाक कारण जालेलॆ सर्वांक मंडळिचॆ अध्यक्ष श्री कॆ. रवींद्र वॆंकटेश प्रभु आनि कार्यदर्शि श्री गणपति नारायण प्रभु हान्नि आबार व्यक्त कॆल्ला.
श्रीमद् वरदेंद्र तीर्थ स्वाम्यांगॆलॆ पुण्यतिथि शतमनोत्सवाचॆ रथयात्रा ता. ८-४-१४क निड्डॊडिचॆ श्री लक्ष्मी नरसिंह भजना मंडळिक, किन्निगोळिचान सांज्वाळा ६ गंट्याक यव्नु पाव्लॆ. रथयात्रॆक स्वागत कॆलेलॆ उपरांत मंडळिचॆ अध्यक्ष श्री कॆ. रवींद्र वॆंकटेश प्रभु हान्नि स्वाम्यांगॆलॆ गुणगान कॆल्लि. येव्कार श्री विवेक माधवराय प्रभु तान्नि कॆल्लि. उपरांत रथयात्रा निड्डोडिचान मूडबिद्रॆक घॆल्लि.
वरदि : कॆ. रवींद्र वि. प्रभु, निड्डोडि.
कॊंकणि मठ श्री वॆंकटरमण देवळ, कापु
श्रीमद् वरदेंद्र तीर्थ स्वाम्यांगॆलॆ पुण्यतिथिचॆ शतमानोत्सव प्रयुक्त रथयात्रा महोत्सव आनि प।पू। स्वाम्यांगॆलॆ गुणगान कार्यक्रम ता. १३-४-१४ दिवसु हांगा चल्लॆ. हे संदर्भारि श्री हळेमारियम्म स्वागत गोपुर मुखारि पूज्य स्वाम्यांगॆलॆ रथाक स्वागत कोर्नु, मॆरवणिगेरि श्री देवळाक हाड्लॆ. देवळांतु देवालॆ पूजा, प।पू। स्वाम्यांगॆलॆ पोटॊ पूजा, गुरुवर्यांगॆलॆ गुणगान, आनि स्वाम्यांक काणिका अर्पण इत्यादि कार्यक्रम चल्लॆ.
श्री लक्ष्मीवॆंकटरमण देवळ, पडुबिद्रॆ
श्रीमद् वरदेंद्र तीर्थ स्वाम्यांगॆलॆ पुण्य तिथि शतमानोत्सव प्रयुक्त रथयात्रॆ ता. १३-४-१४ दिवसु पडुबिद्रॆक आय्यिल तॆद्दना श्री महालिंगेश्वर महागणपति देवळाचॆ स्वागत गोपुरा लाग्गि रथयात्रॆक स्वागत कोर्नु श्री लक्ष्मीवॆंकटरमण देवळाक हाड्लॆ. धोंफारा  देवालॆ पूजा जाल्ल उपरांत श्रीमद् वरदेंद्र तीर्थ स्वाम्यांगॆलॆ पोटोक विशेष पूजा, प।पू। स्वाम्यांगॆलॆ गुणगान आनि समाराधन चल्लॆ. उपरांत रथयात्रॆक कापु श्री वॆंकटरमण देवळाक पॆटोनु दिल्लॆ.
श्री महालक्ष्मी रवळनाथ देवळ, हिरेगुत्ति
हिरेगुत्तिचॆ श्री महालक्ष्मी रवळनाथ देवळाचॆ तृयोदशि वर्षाचॆ ब्रह्मरथोत्सवु ता. २२-४-१४ दाकूनु २४-४-१४ पर्यंत अग्रोदक हरण, देवता प्रार्थन, मणिक, कौतुक बंधन, ध्वजारोहण, अंकुरारोहण, भेरिताडन, पालंखी उत्सवु, नवग्रह वास्तु हवन, महाबलि, रथशुद्धि, रथारोहण, श्री ब्रह्मरथोत्सव, रथ काणिका, अवभृत उत्सवु, संतर्पण, दर्शन मुखांतर अंकुर प्रसाद वितरण इत्यादि धार्मिक कार्यक्रम बरशि विजृंभणेरि चलेलॆ खब्बर मॆळ्ळा.